Wednesday, 5 July 2017

एकाच दगडातून निर्माण केलेली ( एकाश्म ) जगातील सर्वात मोठी मूर्ती कुठे आहे ?

Daily Quiz # २५२

एकाच दगडातून निर्माण केलेली ( एकाश्म ) जगातील सर्वात मोठी मूर्ती कुठे आहे ?

उत्तर : श्रवणबेलगोला या गोमतेश्वर

कर्नाटक राज्य के श्रवणबेलगोला शहर के निकट चंद्रगिरी पहाड़ी (618 सीढियां चढ़कर इस मूर्ति तक पहुंचा जा सकता है) की चोटी पर स्थित गोमतेश्वर (जिसे श्रवणबेलगोला भी कहा जाता है) की एक ही पत्थर से निर्मित विशालकाय मूर्ति जिसे जैन संत बाहुबली के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण लगभग 983 ई. में गंगा राजा रचमल (रचमल सत्यवाक् चतुर्थ 975-986 ई.) के एक मंत्री चामुण्डाराया द्वारा करवाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि इस मूर्ति को महीन सफ़ेद ग्रेनाईट के एक ही पत्थर से काटकर बनाया गया है और धार्मिक रूप से यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जैनियों का मानना है कि मोक्ष (जीवन-मरण के चक्र से छुटकारा) की प्राप्ति सर्वप्रथम बाहुबली को हुई थी। यह मूर्ति एक कमल पर खड़ी हुई है। जांघों तक यह बिना किसी समर्थन के खड़ी है और इसकी लंबाई 60-फुट (18 मी.) और चेहरे का माप 6.5-फुट (2.0 मी.) है। जैन परंपरा के अनुरूप यह मूर्ति पूर्णतया नग्न अवस्था में है और 30 किमी की दूरी से दिखाई देती है। मूर्ति के चेहरे के निर्मल भाव, घुंघराली आकर्षक जटाएं, आनुपातिक शारीरिक रचना, विशालकाय आकार और कलात्मकता तथा शिल्पकला के बेहतरीन मिश्रण के कारण इसे मध्यकालीन कर्नाटककी शिल्पकला की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि कहा जाता है। यह पूरे विश्व में एक पत्थर से निर्मित (एकाश्म) सबसे विशालकाय मूर्ति है.


गोमतेश्वर प्रतिमा के अलावा श्रवणबेलगोला के आसपास के क्षेत्रों में जैनियों की बस्तियां और उनके तीर्थंकरों की कई प्रतिमाएं भी मौजूद हैं। चंद्रगिरी पहाड़ी के ऊपर से आसपास के क्षेत्रों के एक सुंदर दृश्य को देखा जा सकता है। प्रत्येक 12 वर्षों में हजारों श्रद्धालु महामस्तकाभिषेक के लिए यहां एकत्र होते हैं। इस अत्यंत शानदार मौके पर हजार वर्ष पुरानी प्रतिमा का दूध, दही, घी, केसर तथा सोने के सिक्कों से अभिषेक किया जाता है। पिछला अभिषेक फरवरी 2006 में हुआ था और इसकी अगली तिथि 2018 में है।⁠⁠⁠⁠



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